सोमवार, 11 मई 2009

देश के दोहे

मंदी ने ऐसा मारा कि मिडिल वर्ग मर जाय,
“माया” को इससे क्या लेना वो स्टेच्यू रही बनवाय।

अरबों रुपया देश का स्टेच्यू में दिया बहाय,
भारत देश कहीं से फिर न गुलाम हो जाय।

नेता सोएं चैन से और देश में हुआ बवाल,
पहले दाल में काला था अब हो गई काली दाल।

अबै है चुनाव तो बदला नेतन के तान,
बाद मा बची भइया सिर्फ झूर खरिहान।

झूठ झूठ की बात से नेता रहें रिझाय,
पब्लिक तो है मूरख कैसे भी फंस जाय।

टेंशन फ्री हो के हम तो खा रहे भाजी पाव,
हमको कुछ नही लेना देना भाड़ में जाय चुनाव।

दुनियादारी पकड़ के लिखते रहिए ब्लाग,
पहले आग में घी था अब घी में डालो आग।

शुक्रवार, 8 मई 2009

लिखिए भाई लिखिए भाई

पीपल पेड़ पुराना लिखिए,
गांव का एक ज़माना लिखिए।
भौजाई का ताना लिखिए,
देवर का गुर्राना लिखिए ।
नाना का वो गाना लिखिए
नानी का शर्माना लिखिए ।
अपना कोई फसाना लिखिए
बीवी से घबराना लिखिए ।
देश का ताना बाना लिखिए,
देश की जान बचाना लिखिए ।
धूप में पांव जलाना लिखिए,
बारिश में नहाना लिखिए ।
कागज़ की नाव बनाना लिखिए,
बारिश में उसे बहाना लिखिए।
आना लिखिए जाना लिखिए,
हरकत कोई बचकाना लिखिए.।
मुलायम का साथी लिखिए,
मायावती का हाथी लिखिए।
कांग्रेस का पंजा लिखिए
कमल का कसा शिकंजा लिखिए।
समय का अत्याचार भी लिखिए,
टूटते घर परिवार भी लिखिए।
मंदी की मार भी लिखिए,
बढ़ते बेरोज़गार भी लिखिए।

बुधवार, 6 मई 2009

ओबामा-माया वार्तालाप

ओबामा-माया वार्तालाप

ओबामा अपने व्हाइट हाउस में गहरी नींद में सो रहा था.अचानक उसका ब्लैक बेरी फोन घनघनाने लगा ।ओबामा की कुम्भकर्णी नींद में खलल पड़ गयी,उठ कर देखा तो हिंदुस्तान से मायावती चैट का इनविटेशन दे रहीं थी ।
ओबामा ने मैसेज रिसीव किया और दोनो का हॉय हैलो शुरु हो गया...
मायाः क्या ओबामा क्या कर रहा था ?
ओबामाः सो रहा था यार।
मायाः अरे ओबामा हमेशा सोता रहता है, तेरा नाम ओबामा नहीं सोबामा होना चाहिए,और बता तेरे देश में क्या चल रहा है ? मंदी का क्या माहौल है ?
ओबामाः अरे माया मुझे भी कुछ टिप्स दो न, मेरे देश की हालत खराब चल रही है।मंदी में हाल बेहाल है।
मायाः देख मैं तुझे टिप्स तो दूंगी, लेकिन एक शर्त है, अगर मानने के लिए बोल तो आगे बात बढ़ाऊं।
ओबामाः मैं अपने देश की खातिर आपकी सारी शर्त मानने के लिए तैयार हूं।शर्त बताओ।
मायाः बता रहीं हूं, बता रहीं हूं, रोता क्यूं है, तेरा नाम ओबामा नहीं रोबामा होना चाहिए,मेरी शर्त के अनुसार व्हाइट हाउस के बाहर मेरा एक स्टेच्यू लगवाना पड़ेगा,क्यों कि मुझे खुद का स्टेच्यू लगवाने में बहुत मजा आता है,देख जो भी पैसा देश की तरक्की के लिए आए उसे चट कर जा,अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता।
ओबामाः लेकिन वो तो जनता का पैसा है, उसे हजम कैसे करूंगा ? और फिर जब सवाल उठेंगे तो जनता को क्या जवाब दूंगा ?
मायाः सच में तू रोबामा है,हम लोगों की तरह काम कर न,देख मेरे लालू भइया ने इतना बड़ा चारा घोटाला किया,चारा के साथ इतना पैसा लील गए और उन्हें डकार तक नहीं आई।
मुझे ही देख ताज कारीडोर मामले में हजारों करोड़ रुपए दबाए बैठी हूं,लेकिन मुझे देखकर कहीं से लगता है कि मुझे डाइजेशन की समस्या है।
ओबामाः लेकिन आपके देश में आपकी जनता मंदी से मरी जा रही है,और जनता सवाल भी उठा रही है, देश की दूसरी राजनीतिक पार्टीयां भी हल्ला कर रही हैं उनका क्या ?
मायाः तो मरने दे न,तू क्यों मरा जा रहा है,राजनीतिक पार्टी से मुझे कुछ लेना देना नहीं,मंदी देश पर है, मुझ पर नहीं, मेरे हाथी को देख मेरी तरह खाए पिए मस्त है।रही हल्ला की बात तो तूने तो सुना ही होगा कि लोगों के भौकने से हाथी पर कोई असर नहीं होता।
ओबामाः सही कहा अब तुम्हारी रणनीति मैं भी अपनाउंगा,
अरे,तुमने सुना हमारे देश ने एक नई थेरेपी को ईजाद किया है,ये थेरेपी लोगों को बेशर्म बनाएगी,यानि ऐसे लोग जिनको कुछ कहने में या करनें में हेजि़टेशन होती है,उनके लिए ये मशीन कारगर है।अगर बेशर्म बनना हो, तो आओ तीन महीने का कोर्स कर जाओ.
मायाः नहीं यार, तुमने ये तकनीक अब बनाई है,हमारे देश के नेता बहुत पहले से इस थेरेपी का कोर्स कर रहें हैं,बल्कि सही बात तो ये है कि बगैर ये कोर्स किये किसी को राजनीति में आने की इजाज़त नहीं है.
ओबामाः सही कहा,अब मैं भी तुम्हारे नक्शे कदम पर चलूंगा.
मायाः समझदार है तू अब गोबामा गो.

और दोनों ने अपने अपने फोन को आराम दे दिया..