गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

इलाहाबाद के अमरुद

अमे यार इलाहाबाद के अमरुद की बहुत याद आय रही है, यह समय बागिन में अमरुद खाय लायक होई गा होइहैं। रामबाग में जब हम लोग सनीमा देखै जात रहे ललका अमरुद खाए का आनंद आवत रहा। हियाँ ससुर दुई साल होई गा इलाहाबाद के अमरुद का दर्शन नहीं कई पावा। बरेली आई के जिनगी क बहुत अनमोल यादिन सतावत थीन। एही बार माघमेला में चांस लगाई के कौनिउ सूरत में इलाहाबाद पहुंचे का है.....संगम की रेती का मजा और अमरुद का स्वाद बहुत याद आवत अहै....

1 टिप्पणी:

अजित त्रिपाठी ने कहा…

अमें जाएव तव हमरेव बरे लेत आएव यार...ललका वाला...दुई एक जने से पहिलेव बोला है लेकिन अबहिन तक कौनो नै लय आवा...