होती थी अपनी शाम कभी इसी मोहल्ले में ,
मिलते थे दोस्त तमाम कभी इसी मोहल्ले में ,
मेरे दोस्त यार सब आते थे ,
कमरे में शोर मचाते थे ,
सुन कर उन सबका चिल्लाना ,
सारे पड़ोसी गरियाते थे ,
रंगीन थी अपनी शाम कभी इसी मोहल्ले में
होती थी अपनी शाम कभी इसी मोहल्लें में .