होती थी अपनी शाम कभी इसी मोहल्ले में ,
मिलते थे दोस्त तमाम कभी इसी मोहल्ले में ,
मेरे दोस्त यार सब आते थे ,
कमरे में शोर मचाते थे ,
सुन कर उन सबका चिल्लाना ,
सारे पड़ोसी गरियाते थे ,
रंगीन थी अपनी शाम कभी इसी मोहल्ले में
होती थी अपनी शाम कभी इसी मोहल्लें में .
2 टिप्पणियां:
shayad tumhe pata nahi hai ki main bhi ise mohalle mein rahta tha.
Bade yaad ate hain o bite hue lamhe. Aise me man yahi kahta hai koi lauta de mere bite hue din.
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