गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

याचना नही अब रण होगा.

याचना नही अब रण होगा ,
संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
अब तक तो सहते आए हैं ,
अब और नही सह पाएंगे ,
हिंसा से अब तक दूर रहे,
अब और नही रह पाएंगे
मारेंगे या मर जायेंगे ,
जन जन का ये ही प्रण होगा।
याचना नही अब रण होगा ,
संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
हमने देखें हैं आसमान से
टूट के गिरते तारों को ,
लुटती अस्मत माताओं की
यतीम बच्चे बेचारों को
लाचार नही अब द्रौपदी भी
अब न ही चीर हरण होगा।
याचना नही अब रण होगा ,
संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।

आतंक की आंधी के समक्ष
उम्मीद के दिए जलाये हैं ,
तुफानो से लड़ने के लिए
सीना फौलादी लाये हैं ,
भारत माँ की पवन भूमि पर
फिर से जनगनमन होगा ।
याचना नही अब रण होगा ,
संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।

2 टिप्‍पणियां:

हरिमोहन सिंह ने कहा…

अब भारतीय हिटलर की जरूरत है

Jasmeet.S.Bali ने कहा…

संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
अब तक तो सहते आए हैं ,
अब और नही सह पाएंगे ,
हिंसा से अब तक दूर रहे,
अब और नही रह पाएंगे
मारेंगे या मर जायेंगे ,

बहुत अच्छी कविता है।