रविवार, 1 फ़रवरी 2009

एक दिन मेरे एक मित्र मेरे पास आए,
अकुलाए ,बौखलाए
बोले कविराज,
गर्लफ्रेंड और बीवी के बीच की पर्त हटाइए,
मुझे बेगम का अर्थ बताइए,
हम बोले महोदय,
गर्लफ्रेंड वो है जो एक नज़र से करती है कई शिकार,
मेरे और तुम्हारे जैसे ढेर सारे होते हैं उसके यार,
उसके आंखों में ख्वाबों का पुलिंदा पलता है
और ब्वायफ्रेंड के पैसे से ही तो उसका खर्चा चलता है.
और यार..
घोड़ी पे होके सवार चला है दूल्हा यार कमरिया में बांधे तलवार,
इस गाने का अर्थ जनता समझ नहीं पाती है,
सिर्फ गाती जाती है गाती जाती है,
असल में कमरिया पे बंधी तलवार बीवी ही चलाती है,
ग़मों की सौगात साथ में लाती है,
पति का निकाल देती है दम
और ख़ुद बन जाती है बे-गम,
हमने कहा मित्र,
समझे कि समझाऊं,या विस्तार पूर्वक बताऊं
उन्होने कहा कविराज,जरा डिटेल में बताइए
मैने कहा अच्छा,फिर मेरे और करीब आ जाइए
वो बोले नहीं,मैं नजदीक नहीं आउंगा
जमाना खराब है पता नही कहां धोखा खा जाउंगा
अब तक सीधा साधा बैठा था अब उठकर अकड़ गया
और बोला कवि महोदय आपने तो सुना ही होगा
मां का लाडला बिगड़ गया
मां का लाडला बिगड़ गया

7 टिप्‍पणियां:

Anwar Qureshi ने कहा…

अजित जी बहुत खूब लिखा है बधाई ..

शून्य ने कहा…

भाई बहुत उम्दा रचना
बधाई

shuhani sham ने कहा…

भाई लिखते रहो अच्छा लगा
इसीलिए हमारे पास गर्लफ्रैन्ड
नही है

allahabadi andaaz ने कहा…

वाह ! अजित साहब, क्या ख़ूब लिखा है... मुझें नहीं पता था इन दिनों आप व्यंग के उम्दा खुमार में है ।

Prakash Badal ने कहा…

अच्छा व्यंगय

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने कहा…

bahut khoob .

Unknown ने कहा…

bahut badhiya likha hai..