बकबक,बतकही,बैठकबाजी और उल जुलूल बातों से निकली कुछ नई विचारधाराओं का संयोग किसी लंतरान को जन्म देता है । इलाहाबाद ने कई लंतराम जन्में हैं चाहे वो बच्चन हों,कमलेश्नर हों,फिराक हों,या फिर अकबर इलाहाबादी हों...इन्ही लंतरानों की परिपाटी और धाती को संजोने के लिए निकला हूं अपने साथ लंतरानों की फौज लेकर...।
सोमवार, 26 जनवरी 2009
ये हमारा वतन हमको प्यारा वतन इससे ज्यादा हमें कोई प्यारा नहीं
लड़ के पाए हैं आज़ादी हम दोस्तों होके आज़ाद लड़ना गवारा नहीं
हम लड़े हैं सदा धर्म पर जाति पर बांटना देश को अब दोबारा नहीं
ये हमारा वतन हमको प्यारा वतन इससे ज्यादा हमें कोई प्यारा नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें