शुक्रवार, 8 मई 2009

लिखिए भाई लिखिए भाई

पीपल पेड़ पुराना लिखिए,
गांव का एक ज़माना लिखिए।
भौजाई का ताना लिखिए,
देवर का गुर्राना लिखिए ।
नाना का वो गाना लिखिए
नानी का शर्माना लिखिए ।
अपना कोई फसाना लिखिए
बीवी से घबराना लिखिए ।
देश का ताना बाना लिखिए,
देश की जान बचाना लिखिए ।
धूप में पांव जलाना लिखिए,
बारिश में नहाना लिखिए ।
कागज़ की नाव बनाना लिखिए,
बारिश में उसे बहाना लिखिए।
आना लिखिए जाना लिखिए,
हरकत कोई बचकाना लिखिए.।
मुलायम का साथी लिखिए,
मायावती का हाथी लिखिए।
कांग्रेस का पंजा लिखिए
कमल का कसा शिकंजा लिखिए।
समय का अत्याचार भी लिखिए,
टूटते घर परिवार भी लिखिए।
मंदी की मार भी लिखिए,
बढ़ते बेरोज़गार भी लिखिए।

11 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

waah yaar bada badiya likha .......hum dua karte hai aap hamesha isi tarah uttam kavitayen likhiye.......

बेनामी ने कहा…

bahut khoob... maza aa gaya!

बेनामी ने कहा…

bahut hi achcha likha hai aapne!

वीनस केसरी ने कहा…

अरे यार इलाहाबाद से हो
मैं भी इलाहाबाद का ही हूँ अपना परिचय तो दो
MY EMAIL ID---
venuskesari@gmail.com

Unknown ने कहा…

जियो,राजा इलाहाबादी
दिल प्रसन्न कर दिया।

Unknown ने कहा…

समय का अत्याचार भी लिखिए,
टूटते घर परिवार भी लिखिए।
मंदी की मार भी लिखिए,
बढ़ते बेरोज़गार भी लिखिए।
बहुत सुंदर लिखा आपने...
बधाई...

Dhwani ने कहा…

पीपल पेड़ पुराना लिखिए,
गांव का एक ज़माना लिखिए।
भौजाई का ताना लिखिए,
देवर का गुर्राना लिखिए ।
नाना का वो गाना लिखिए
नानी का शर्माना लिखिए ।
बहुत बढ़िया......

Unknown ने कहा…

नाना का वो गाना लिखिए
नानी का शर्माना लिखिए ।
अपना कोई फसाना लिखिए
बीवी से घबराना लिखिए ।
very very veryvery good.

Unknown ने कहा…

ओय होय क्या सही लिखा है...
मज़ा आ गया.

shuhani sham ने कहा…

कविता पढ़कर मज़ा आ गया गुरू..

अजित त्रिपाठी ने कहा…

आप सभी का हृदय से धन्यवाद।