बकबक,बतकही,बैठकबाजी और उल जुलूल बातों से निकली कुछ नई विचारधाराओं का संयोग किसी लंतरान को जन्म देता है । इलाहाबाद ने कई लंतराम जन्में हैं चाहे वो बच्चन हों,कमलेश्नर हों,फिराक हों,या फिर अकबर इलाहाबादी हों...इन्ही लंतरानों की परिपाटी और धाती को संजोने के लिए निकला हूं अपने साथ लंतरानों की फौज लेकर...।
मंगलवार, 1 सितंबर 2009
बाबू की बचकानी बातें.......
बाबू की बचकानी बातें.......
आपने राजू श्रीवास्तव,एहसान कुरैशी,सुनीलपाल का नाम तो सुना ही होगा. ये वो लोग हैं, जो अपनी चुटीली बातों से लोगों का मनोरंजन करते हैं,लेकिन इन हास्य अभिनेताओ के साथ एक नाम और जुड़ गया है,और वो नाम है अपने 'राजू भैया' का. नही समझे,अमा मियाँ राजू का मतलब "मनसे प्रमुख राज ठाकरे"हिन्दी भाषियों के लिए विषपुरूष बन गये राज
आजकल यूपी बिहार वालो के लिए मनोरंजन का साधन बन गये हैं. खुदा कसम जितना हसी राजू श्रीवास्तवा के कार्यक्रम मे नही आती,उससे कही ज़्यादा राज ठाकरे का भाषण सुनकर आती है.वाह,क्या बोलता है....,बस मज़ा आ जाता है,अब कल ही "जनता की अदालत कार्यक्रम" मे अपने राज ने एक चुटकुला सुनाया.चुटकुला ये था की, "भैया लोग पानिपूरी बेचें",सरकार चलाने के चक्कर मे ना पड़े.पानिपूरी नही समझे,अरे भाई...पानिपूरी को दिल्ली वाले बताशा कहते हैं,कही कही इसे गोलगप्पे कहा जाता है,और हमारे जैसे बज्र देहाती,ठेठ इलाहाबादी इसे फुल्की कहते हैं.सिर्फ़ यूपी बिहार ही नही,परप्रांतीय लोगो पर भी झमाझम बरसे अपने राज बाबू.राज ठाकरे की माने तो वो महाराष्ट्र की राजनीति मे परप्रांतीय लोगो को नही आने देंगे,यानी मुंबई की राजनीति परप्रांतीय नही चलाएँगे. लेकिन जहाँ तक मेरी जानकारी है मुंबई की राजनीति,परप्रांतीय ही चला रहे हैं. सिर्फ़ राजस्थान के ही १७ विधायक हैं.इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृपाशंकर सिंह पूर्व गृह मंत्री,नसीम ख़ान गृह मंत्री,इसी तरह कई ऐसे नाम हैं जैसे अबू आज़मी,हरिवंश सिंह,वीरेंद्र उपाध्याय,संजय निरूपम,मुरली देवड़ा,फययाज़ ख़ान,घनश्याम दुबे,गुरुदास कामद,और बहुत से नाम हैं,जिनकी महाराष्ट्र की राजनीति मे सक्रिय सहभागिता है.लेकिन पता नही क्यों,राज ठाकरे ऐसी बचकानी बातें करते हैं? दूसरी बात ये की राज ठाकरे अपने आप को गरम दल का नेता कहते हैं," कान के नीचे बजाने के लिए"हमेशा तैयार रहते हैं.सिर्फ़ कहते ही नही हैं कभी कभी बजाते भी हैं,रिक्शे वालो को,टॅक्सी वालो को,ग़रीब मजदूरो को,दुकानदारो को,वाचमैन को,लेकिन अब यूपी बिहार के लोग भी लतखोरियत की हद पार कर गये हैं,उन्होने राज बाबू को घंटे पे मार दिया है, इनका कहना है की... अब तुम चिल्लाओगे तो हम डरेंगे नही, बल्कि हसेगे,यूपी बिहार के लोगों ने भी मन को संतोष दे दिया की,यह बजने बजाने का दौर जब चुनाव आएगा तभी आएगा ,और कभी अगर हमको भी मौका मिला तो बजने बजाने का खेल हम भी ज़रूर खेलेंगे,और अगर बजाने का भी मौका मिला तो ऐसा बजाएँगे की सामने वाले के कदम थिरकने लगे,बस यूँ समझ लो की वह भरतनाट्यम करने पर मजबूर हो जाएगा.खैर बात हो रही थी मनोरंजन की.तो भाई, मै तो राजू श्रीवास्तवा की जगह राज ठाकरे को सुनना पसंद करूँगा ,अब आप की मर्ज़ी आप चाहे जिसे
सुने,आपकी मर्ज़ी.....
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3 टिप्पणियां:
gud,raj babu comedian hi ban ke rah gaye hain.
sahi hai bhai
gaurav
भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसके अन्दर महाराष्ट्र है
मराठियों का सम्मान कैसे जब वहां ठाकरे राज है।
लगाया आग क्षेत्रवाद का फिर से जलने के लिए
टुटा मेरा सपना अखंड भारत पर मरने के लिए।...... सही में वे हंसी के कलाकार हैं
- सुलभ
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