मंदी ने ऐसा मारा कि मिडिल वर्ग मर जाय,
“माया” को इससे क्या लेना वो स्टेच्यू रही बनवाय।
अरबों रुपया देश का स्टेच्यू में दिया बहाय,
भारत देश कहीं से फिर न गुलाम हो जाय।
नेता सोएं चैन से और देश में हुआ बवाल,
पहले दाल में काला था अब हो गई काली दाल।
अबै है चुनाव तो बदला नेतन के तान,
बाद मा बची भइया सिर्फ झूर खरिहान।
झूठ झूठ की बात से नेता रहें रिझाय,
पब्लिक तो है मूरख कैसे भी फंस जाय।
टेंशन फ्री हो के हम तो खा रहे भाजी पाव,
हमको कुछ नही लेना देना भाड़ में जाय चुनाव।
दुनियादारी पकड़ के लिखते रहिए ब्लाग,
पहले आग में घी था अब घी में डालो आग।
5 टिप्पणियां:
वाह भई वाह,
नेताओं के लिए कष्टदायक
हम लोगों के लिए आनंद दायक..
मायावती के धुर विरोधी
लगते हो गुरू.
ग़ज़ब लिखते हो प्रभु
desh ke dohe nahi bandhu ise to maya ke dohe kahna chahiye
bandhu koi nya post to karo
एक टिप्पणी भेजें