सिहरन भरी रातों में भी जलता रहा दिया,
कोहरे के बीच फंस के तड़पता रहा दिया
मंज़िल पता नहीं है और रस्ते भी हैं कठिन,
इस कशमकश बीच भी चलता रहा दिया
बारिश कभी बिजली कभी आंधी कभी बौछार
तूफानों से लड़ लड़ के मचलता रहा दिया
सिहरन भरी रातों में भी जलता रहा दिया,
कोहरे के बीच फंस के तड़पता रहा दिया
1 टिप्पणी:
भाई वाह।
आगे भी लिखते रहें
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