सोमवार, 23 अगस्त 2010

दूसरे के हिस्से से सेहत नहीं बनती


जब किसी इंसान को डायबीटीज हो जाती है, तो यही कहता घूमता हैः भाई एड्स हो जाए, कैंसर हो जाए मगर डायबीटीज न हो। सबको पता है कि डायबीटीज क्यों होती है-ज्यादा मिठाई खाने से। कुछ यही हालत अपने इंडिया की भी है (भारत की इसलिए नहीं क्योंकि उसका सपना तो बापू ने देखा था)। सारे के सारे मिठाई खाने में जुटे हैं और खिलानेवाले भी बड़े चाव से खिलाते हैं। फर्क बस इतना है कि किसी को बूंदी का लड्डू मिलता है तो किसी के हिस्से में पेड़ा आता है और जनाब ये मिठाई किसी हलवाई की दुकान पर नहीं मिलती। इसकी पैदाइश तो आरबीआई के घर होती है, लेकिन खाने-खिलाने वाले मौका हाथ लगते ही इसे मिठाई के डिब्बे में बंद कर लेते हैं और बना लिया रिश्वत की मिठाई।

हमारे यहां यह मिठाई खाने का बड़ा चलन है। लालू ने चारा मिठाई खाई, लोग कहते हैं राजीव के जमाने में बहुत लोगों ने बोफोर्स वाली मुठाई खाई, फिर तहलका मिठाई आई, ये सब मिठाइयां तो बड़े लोगों के लिए बनीं थीं। आजकल बहुत लोग कॉमनवेल्थ मिठाई खा रहे हैं। कलमाड़ी भैया तो वर्ल्ड फेम हो गए हैं, मिठाई खाने में। इसा खाने पीने की आदत में किसी को पेट की याद न आई, बेचारा पेट, कितना पचाये, आप तो ठूसे पड़े हैं, लेकिन एक हद होती है मालिक किसी चीज की। पेट कब जवाब दे जाए, कुछ पता नहीं।
हमारे यहां कॉमनवेल्थ शुरू होने में महज कुछ दिन बाकी हैं, कॉमनवेल्थ की मिठाई खाने वालों की बीमारी के बारे में मीडिया ने सारे देश को बताया, बड़ी किरकिरी हुई, फिर सोचा गया इ सब ब्रत रख लेंगे, लेकिन मजाल भैया कि एको दिन मिठाई खाने में नागा हो जाए। बिल्डिंग बनी तो एक उसमें चौड़ाई थोड़ा घटाय के मिठाई मंगवाय लिया, स्टेडिय़म मा घटिया वाली माटी डरनवाएन, जलेबी आई गई। लेकिन मिठाई खाने वाले शायद भूल रहे हैं, कि अगर इसी तरह खाए तो पेट तो जाएगी ही, नाक भी कट जाएगी। ये लोग शायद बीजिंग ओलंपिक भूल रहे हैं। सब की आंखे फटी की फटी रह गईं थीं, चीन की तैयारी और मेहमाननवाजी देखकर, हमारे इहां शायद आंखी न फटे और सब फटी जाए। बर्ड नेस्ट स्टेडियम की तस्वीरे आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। लेकिन कलमाड़ी जैसे मिठाई प्रेमी भूल गए हैं, इसीलिए तो खाए पड़े हैं, लेकिन अक्टूबर के पहिले हफ्ते में जब थू थू होने लगेगी, तो समझ में आ जाएगा, कि दूसरे का हिस्सा खाने से सेहत नहीं बनती।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

bahut badhiya lage raho